रंडी ने चोदना सिखाया

रंडी ने चोदना सिखाया

रंडी ने चोदना सिखाया
रंडी ने चोदना सिखाया
ज्यादातर लोग रंडी को चोदना आसान समझते हैं, पैसा दिया और तमाशा देखा, चल दिये. पर भाई लोग, सच
तो ये है कि दुकान देखना और सामान खरीदना आसान है, पर सामान को सही तरीके से यूज करना कठिन. अरे
भाई बुलेट मोटरसायकिल लेकर क्या करोगे अगर चला ही न पाए, तो. अगर तुम नहीं चलाओगे तो पड़ोसी
चलाएगा, खुद पीछे बैठ कर सवारी करोगे, तो सच में यह कहानी उन दो दोस्तों की है जो कि मिलिट्री केएक्जाम
की तैयारी कर रहे थे, सालिड बदन, मोटा लंड लंबे तगड़े. पर भाई, लंबाई से सब कुछ नहीं होता, बाडी-मास
इंडेक्स एक ऐसा सूचक नहीं है कि जिसे आप कलकुलेट कर दें और कह सकें कि फलां व्यक्ति का लंड इतनी परफारमेंस देगा.
वैसे ही दो हड्डी की दिखने वाली लौंडिया जब चुदवाने लगती हैं तो समझ में नहीं आता कि कितनी ताकत है
उनमें और वैसे ही मोटी मोटी आंटीयां पांच ही मिनट में ढेर हो जाती हैं.
सच तो ये है कि सेक्स का गेम सबसे जटिल गेम है और इसके लिए आपके पास होनी चाहिए इन्टलिजेंस, नहीं
तो आप तुरत ही बिखर जाएंगे और आपके सारे हसीन खवाब झड़ जाएंगे. तो यारों चलिए आपको सुनाते हैं दो
दोस्तों जय और वीरू की कहानी जिनका असली नाम तो आकाश और विकास था पर लोग उन्हें उनकी दोस्ती
को देख कर के जय और वीरु ही बुलाते थे. तो एक बार वो आए सेना की भरती में एलाहाबाद. यहां दौड़ने के बाद
उन्होंने फिजिकल राउन्ड क्वालिफाई कर लिया और रिटेन के लिए उनको बाद में बुलाया गया. बनारस से
इलाहावाद जाकर वापस आने के लिए दोनो मित्र एलाहाबाद सिटी स्टेशन पर रुके तो उनको कुछ चुहल सूझी.
सच तो ये है कि ट्रेन चार पांच घंटे लेट थी और उनको कुछ् मनोरंजन चाहिए था. मित्रों को आज तक चूत मारने का मौका नहीं मिला था, सिर्फ दन्ड पेलते पेलते ही काम चला रहे थे.
भाई अब तो लंड को पेलने के लिए चूत चाहिए होती है बीस साल की उफनती जवानी में. सो दोनों बाहर निकले
और एक रिक्शे वाले से पूछा, यार आस पास कहीं माल मिलेगा. उसने समझ लिया कि लौंडो को चोदना मांगता
है, वो बोला रंडी चलेगी, तो साले हंस के जय और वीरु बोले, चलने को तो कुतिया भी चलेगी, हा हा. फिर वो वहां
से उन दोनों को मीरगंज ले गया. मीरगंज वो जगह जहां कि एलाहाबाद की प्रसिद्ध रंडियां अपना धंधा चलाती
हैं. रिक्शे वाली की भी एक रंडी थी जो उसको कमिशन के रुप में कभी कभार चुम्मा चाटी दे देती थी. और पचास
सौ रुपए, सो वो वहीं ले गया., दोनों दोस्त अंदर गये. रेट के बारे में कह दिया, अगर दोनों साथ करोगे तो डबल लगेगा. मजा आने पर बख्शीश भी देनी पड़ेगी.
हड़बड़ी में जय और बीरु को बसंती की चूत चोदनी थी
जय और वीरु को बहुत जल्दी थी, साला सब दोस्त चूत मार रहे थे सालों से और हम दोनों आजतक अपना
हाथ……. इसलिए जल्द ही अंदर गये. देखे तो एक कंटीली छमिया, लहंगा पहन के बैठी है, उपर में चोली थी
जालीदार, गोरे चूंचे चमकीले बदन से झांक रहे थे और देखते ही देखते दोनों मित्रों के लंड टन ट्ना गये. आह्ह!!
जय अपना पैंट में उभरे लंड को पकड़ के बोला, अबे ये क्या हो रहा है. उसका हाल देखके रंडी को आई हंसी बोली
ओ तुम लंडूरों का नाम क्या है, कहां चिड़ियाघर से चले आए चूत मारने. सालों चोदना भी नहीं जानते हो क्या बे.
अब तुम दोनों को सेक्स एजुकेशन की क्लास देनी पड़ेगी क्या मुझे. दोनों उसकी तरफ देखे और बोले ” हमारा
नाम जय और वीरु है.” मुह फाड़ के हंसी रंडी और बोली, तो सुन लो चूतियों ” मेरा नाम है बसंती.” वो दोनों खुश
हो गए और बोले तो आओ बसंती हम दोनों जय और वीरु को खुश कर दो. बसंती ने कहा, अबे सालों चूंचों को
उपर से देखते ही तुम दोनों के लंड खड़े हो गए तो कहीं पूरे नंगे स्तन देख लोगे तो चोदना भूल, झड़ जाओगे, तुम दोनों.
अब तक दोनों अपने सांसों पर काबू पा चुके थे और जय ने कहा ” अबे भूतनी के मां की लौड़ी, चल इधर सेवा दे,
और मेवा ले. बहुत सुन लिया तेरा लेक्चर.” हिम्मत बांध के जय ने ये बात कही थी, रंडी भी तौव्वा गयी और
आके उसका कालर पकड़ के बोली, कैसा मांगता है रे तेरे को, बीबी मरद स्टाइल में कि एक दम वाइल्ड सेक्स
टारजन स्टाइल में?” वीरु बोला, भाई, बीबी मरद स्टाइल तो शादी के बाद करना ही है. इस साली बसंती की मां
को बोल की हम को तो टारजन स्टाइल में चोदना मांगता है. इस बात पर जय ने कहा, भाई चलो कुछ करते हैं
नहीं तो एक घंटे के लिए बुक किया है साली को क्या पता एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ जाए. इस बात पर वीरु ने कहा
सही कह रहे हो, मेरा लंड भी इसे चोदना चाहता है. और वीरु ने कहा ” चल चोदते हैं इसे.” बसंती आई और
उसको पकड़ कर के उसका पैंट खोल दिया. वीरु एक दम लंड खड़ा कर चुका था और उसको चड्ढी कें अंदर दबाए था. बसंती ने लंड को पकड़ कर दबा के देखा. अबे हथोड़े में तो बहुत दम है. क्या बे साले कंवारे हो क्या दोनों?
लगता है चोदना नहीं बल्कि तुम लोग मेरी चूत का दही फलूदा बनाने आए हो.
ससुरों तुम से तो ज्यादा फीस लेनी चाहिए थी. और उसने चड्ढी के अंदर बेबाकी से हाथ डालकर के वीरु का लंड
पकड़ लिया था. वीरु जल्द से जल्द चोद्ना चाह रहा था पर रंडी थी कि चोदने का मौका ही नहीं दे रही थी. वो
देहाती बकचोद लौंडा था, सीधा चूत खोला और दे दनादन करने लगा, पर आज बसंती  उनको जंगली चुदाई का
मजा देने वाली थी. इसलिए वो खुद ही सीधे चोदना नहीं देना चाहती थी. उसने अपनी लंबी जीभ निकाली और
लंड के सुपाड़े के आसपास कर के लपकाने लगी. जय तो यह देख के डर गया कि कहीं चोदना महंगा न पड़ जाए
और वो उसके लंड का डिनर न कर ले. इधर वीरु को मजा आ रहा था, उसने मुह में लंड देने के बारे में सुन रखा था मित्रों से, इसलिए वो सोच रहा था कि बहुत मजा आने वाला है.
चोदना सिखाया मीरगंज एलाहाबाद की रंडी ने
लंड को पकड़ कर के उसने वीरु को अपनी जीभ इसके सुपाड़े के गिर्द नचानी शुरु कर दी थी और जय की फट रही थी कि अबे उसका लंड खा न जाए, अगर ऐसा होगा तो चोद्ना महंगा पड़ जाएगा. ये तो वही बात हुई न कि गांड
किसकी मराएगी और फट किसकी रही है. तो अपने लंड को बसंती के मुह के पास पाकर वीरु ने तेजी दिखाते हुए एक धक्का लगा के उसके मुह में डालना चाहा, पर बसंती ने अपना मुह हटा लिया, बोली लगता है कि साहब को
चोदने की जल्दी हो रही है, पर रुको मेरी जान मुख चोदन करने से पहले कुछ शगुन तो दो.
वीरु समझ गया, उसने अपने पाकेट से दस रुपये निकाल कर के उसको थमाए और कहा ले अब चूस मां की
लोड़ी, बहुत चालाक है तू, ले अब चाट ले मेरा लंड्. इस बात पर बसंती ने अपने मुह में ढेर सारा थूक भरा और
वीरु के गरम सुपाड़े को नहला दिया. और अपनी नाजुक उँगली से उसके सुपाड़े को मसलने लगी. उसको सन
सनी हो रही थी. पहली बार उसके अंग को किसी महिला ने पकड़ा था, वरना आज तक इसे हिला हिला के मूतने
के अलावा किसी और काम में नहीं ला पाया था. बसंती ने पकड़ के उसके लंड की थूक जैसे स्नेहक से मालिश
करने के काम को इतनी खूबसूरती से अंजाम देना शुरु किया कि जरा सी देर में वीरु की पिचकारी उसके मुह पर
और आंखों पर जा गिरी. बसंती हंसी और ठहाके लगा के हंसी, ऐसा कि बस वीरु शर्मिंदा हो गया और जय की
हालत्त खराब, बेईज्जती न हो जाए उसकी वीरु की तरह से, उसने अपना लंड अंदर छुपा लिया और पैंट पहनने
लगा. वीरु को एक तरफ धकेल कर के बसंती ने जय को पकड़ा और बोली ” कहां भाग रहे हो मेरे लाल, पैसा
दिया है तो चोदना नहीं चाहते हो क्या. आओ भी, थोड़ा मस्ती मेरे साथ भी कर लो. और उसने उस्का पैंट नीचे
सरका दिया. लंड अब भी अंदर खड़ा था. बसंती ने अपने चूंचे को हिलाते हुए कहा, ” ये तुझे अच्छे न लगे जो जा
रहे हो, कैसे जवान हो चोदना मांगता है और लड़की देख कर फटता है तेरा.” चल इधर बुरबक. और उसने उसकी
चड्ढी भी सरका दी. दो थपकियां गांड पर लगा के उसको सहलाया तो जय का लंड काले अजगर की तरह
फुफकारने लगा. इस बार मुह में लेकर बसंती ने कहा कि चोदना चाहता है तो पहले मुह में चोदना सीख इससे
तुझे ट्रेनिंग मिलेगी. और जय ने बसंती की जय बोल कर के उसके मुह में लंड दे दिया.
उसे ऐसा ऐहसास हुआ कि उसका लंड किसी मुलायम गर्म कंबल मे घुस गया हो. अंदर लेकर लंड को जब बसंती
ने चुभलाना शुरु किया तो जय आह्ह आह्ह करने लगा. दो मिनट में वो भी उसके मुह में ही झड़ गया. वीर्य को
गटकती हुई बसंती बोली कि अबे तुम दोनों तो एक दम कच्चे निकले यार. चलो चलो बाहर चलो, जंगली सेक्स
का खेल तुम्हारे बस का नहीं है. इस बात पर वीरु जो कि फिर से चोदना चाहता था उस रंडी को बोला ” सुन पैसे
दिये हैं, बिना चोदे नहीं जाएंगे. इस बात पर बसंती हंसी, अबे अकड़ मत दिखा नहीं तो मरवा के फेंकवा दूंगी यहीं
पर नाले में. बसंती से प्यार से बोलने का. तो जय ने फिर उसके हाथ पकड़ के चूमते हुए कहा, मान जाओ, एक बार दरशन करा दो गुप्त दरवाजे के.
रंडी ने गालियों की बरसात कर दी उन चूतियों पर
बसंती हटी ” चल बे चूतिये, कैसा गुप्त दरवाजा, उसी से निकल के तू भी तो बाहर आया है.” और उसने जय की
गर्दन पकड के अपने लहंगे के अंदर घुसा दिया. सरप्राईज!! अंदर तो कुछ भी नहीं पहना था उसने, इसलिए जय
की आंखें चुन्धिया गयी. चिकनी चूत देख कर वो प्रसन्न हो गया. और लगा चपड़ चपड़ चूसने. वाह्ह साले
अकल तो है तेरे में, उसने जय को दाद दी और वीरु को बोली, काहे का वीरु है बे तू, दो मिनट तो तेरा ये लल्लू
दोस्त भी टिक गया, तू तो साला बस सोच के ही झड़ गया. पर इस बार उसने अपना लंड जब बसंती के हाथ में
दिया तो वो लोहा हो चुका था. इधर जय भी उसकी चूत चाट कर चिकनी कर चुका था. इस बार बसंती सोफे पर अपनी दोनों टांगे फैला के लहंगा उठा के बैठ गयी.
खुली हुई चूत लंड को चोदने का आमंत्रण दे रही थी. इस बार वीरु ने अपना लोहा उसकी भोसड़ी में घुसाया और
घप्प से अन्दर पेल दिया. फक्क फक्क करती हुई पिस्टन की तरह टाईट चूत में वीरु का लन्ड स्पीड पकड़ लिया
था. बहुत जल्दी उसने चोदना सीख लिया था. पहली बार सबके साथ ऐसा होता है और फिर सब ठीक हो जाता है. इस लिए वीरु में कान्फिडेंस आ गया था, धक्के मारते हुए उसने जय को कहा कि इसके मुह में चोदे. इस बार
जय ने बसंती के मुह में लंड पेल कर के गहरे धक्के दिये. मूखमैथुन और लंड के चूत में एक साथ लेने से बसंती
को ज्यादा मजा आ रहा था. उसके चेले चोदना सीख गये थे और इसलिए वो बहुत खुश थी. आधे घंटे तक सामने से चोदने के बाद वीरु चूत में झड़ गया.
अब बारी थी जय की. वो मुह में चोदना छोड ही नहीं रहा था पर जब वीरु झड़ा तो वो नीचे आया और वीर्य
टपकती चूत में बिना सोचे समझे अपना लौड़ा कोंच दिया. दोनों चूंचे पकड़ के ऐंठ दिये और जोरदार झटके
लगाने लगा. उसका दिया भी बुझने वाला था. एक दो तीन चार…… और चालीस तक जाते जाते उसके गांड की
नस सिकुड्ने बंद होने लगी. बसंती को गोद में पकड़ के वो झड़ गया. अब बसंती की चूत में से दो मर्दों का वीर्य
झड़ रहा था. संगम हो गया था वीर्यों के झरने का. बसंती ने दोनों को शाबाशी दी और कहा, बच्चे, चोदना कोई खेल नहीं, बल्कि इसके लिए अभ्यास और दमदार लन्ड की जरुरत है.